सैदपुर:हर घर का एक सदस्य कर रहा मुल्क की सरहद की हिफाजत

बुलंदशहर। इस गणतंत्र दिवस पर अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड गांव सैदपुर की प्रेरक कहानी लोगों के सामने लेकर आया है। यह एक ऐसा गांव है, जहां लगभग हर घर से किसी एक सदस्य को देश की सरहदों की रक्षा करने के लिए फौज में भेजा जाता है। गांव में यह एक ऐसी परंपरा है, जिसका पालन लगातार किया जा रहा है। ‘इंडिया सैल्यूट सैदपुर’ शीर्षक वाली दो मिनट लंबी एक डिजिटल फिल्म में इस गांव और इसके वाशिंदों की जिंदगी को दशार्या गया है, जिसमें वे सरहदों की रक्षा के लिए अपने वचन को निभाते नजर आते हैं।
अंबुजा सीमेंट्स के एमडी और सीईओ नीरज अखौरी ने कहा, सैदपुर की कहानी वास्तव में बहुत प्रेरणादायक है, इसने एक मेजर जनरल और भारतीय वायु सेना के लिए महिला पायलट तैयार किए हैं और देश को 95 शहीद दिए हैं, फिर भी प्रत्येक नई पीढ़ी गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक है, प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्र के लिए एक रक्षक, एक अटूट दीवार बनने के लिए तैयार है। गणतंत्र दिवस पर जैसा कि राष्ट्र मनाता है, हम उन लोगों को उजागर करना और सलाम करना चाहते हैं, जो अपने जीवन की कीमत पर भी भारत की अखंडता की रक्षा करने के लिए तत्पर रहते हैं। गौरतलब है कि सैदपुर जनपद का एक छोटा-सा गांव है, इस गांव में लगभग 3500 पूर्व सैनिक हैं और 1500 से अधिक सैनिक ड्यूटी निभा रहे हैं। गांव में एक इंटर कॉलेज है, जिसके माध्यम से यह गांव स्वतंत्रता से पहले से ही भारत की रक्षा करने की गौरवपूर्ण परंपरा को बनाए रखते हुए गांवों और जिले के युवाओं को फौज के लिए तैयार करता है।
ताकत, जोश, चरित्र और बलिदान की कहानी
यह फिल्म ताकत, जोश, चरित्र और बलिदान की कहानी है। अंबुजा सीमेंट हमारे देश के सैदपुर और ऐसे ही कई अन्य गांवों की ताकत और समर्पण को सलाम करता है। दरअसल इस तरह अटूट जोश और दृढ़ रहने की इच्छा शक्ति को सलाम करने की चाहत है, यह एक वास्तविक कहानी है और यही इसे शक्तिशाली बनाती है। एक ऐसी कहानी जो बताती है कि कैसे गाँव का प्रत्येक व्यक्ति दुश्मन के सामने एक अटूट दीवार बनकर खड़ा है।