विदेश
माइनस पांच डिग्री का तापमान, पैदल सफर और बम धमाके
-यूक्रेन में फंसे मुजफ्फरनगर के छात्र अमन ने सुनाई बॉर्डर की आप बीती
यूक्रेन की जंग को आज तीन दिन पूरे हो चुके हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति अपने देश की रक्षा और सैन्य बलों को हौसला बढ़ाने के लिए खुद सेना की वर्दी पहनकर डट चुके हैं। सोशल मीडिया पर उनकी वर्दी पहने हुए तस्वीर खूब वायरल हो रही है। ऐसे में मुजफ्फरनगर के अभिभावकों ने ये तीन दिन अपने बच्चों की सलामती की फिक्र में जागकर ही काटे है। वहां पर फंसे मुजफ्फरनगर के छात्र छात्राएं या तो छिपे हुए हैं या फिर जैसे तैसे वहां से निकलने के लिए प्रयास कर रहे है, लेकिन इसके लिए उनको कांटों भरा सफर तय करना पड़ रहा है। ऐसे ही मुजफ्फरनगर के एक छात्र को माइनस पांच डिग्री तापमान की हाड गला देने वाली सर्दी के बीच 35 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना पड़ा। वह बॉर्डर तक पहुंचे तो भारतीय दूतावास से कोई मदद नहीं मिलने पर वहां पर फंसकर रह गये। सर्दी और बम धमाकों की गूंज नई चुनौती पेश कर रही है। इन बच्चों की मुश्किलों को देखकर माता पिता की नींद उड़ी हुई है। वह लगातार अपने बच्चों के सकुशल वापस लौटने की दुआ कर रहे है। अपुष्ट सूचना के अनुसार यूक्रेन में इस समय मुजफ्फरनगर के सैंकड़ों छात्र छात्राएं फंसे हुए हैं। पुलिस के अनुसार 30-40 छात्र छात्राओं के फंसे होने की सूचना मिल चुकी है। यूक्रेन से केवल खतौली का एक छात्र ही वापस लौट पाया है। परिजन लगातार प्रशासन और केन्द्र व राज्य सरकार से सम्पर्क बनाकर अपने बच्चों की सकुशल वापसी का प्रयास कर रहे हैं। यूक्रेन और रूस में युद्ध के बीच यूपी के कई छात्र फंसे हैं। इनकी शनिवार सुबह वापसी थी, लेकिन वहां हालात बिगड़ते जा रहे हैं। यूक्रेन के ल्विव से डठठै कर रहे मुजफ्फरनगर के अमन ने पोलैंड बार्डर से दिल दहला देने वाली दास्तां सुनाई है। अमन ने बताया कि इंडियन एंबेसी की एडवाइजरी पर वे पहले कैब से और फिर जाम के चलते माइनस 5 डिग्री टेंप्रेचर में 9 घंटे तक 35 किमी पैदल चलकर पोलिश बार्डर पहुंचे। लेकिन, उन्हें वहां एंट्री नहीं दी गई। इसके बाद दूसरी एडवाइजरी जारी कर वापस लौटने के लिए कहा गया है। जंग का मैदान बने यूक्रेन में पढ़ाई के लिए गए भारतीयों की मुश्किल आसान होने का नाम नहीं ले रही। भले ही भारतीयों को वहां से निकालने के लिए सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए। इसके बावजूद सैकड़ों भारतीय छात्र यूक्रेन में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। परेशानी बयां करते हुए उनके गले रुंधे जा रहे हैं। जिन्हें सुनकर हर भारतीय का दिल पसीज रहा है। कुछ ऐसे ही हालात मुजफ्फरनगर के गांव नंगला राई निवासी मोहम्मद अमन के साथ यूक्रेन में पेश आ रहे हैं। यूक्रेन के ल्विव शहर में एमीबीएस फर्स्ट ईयर के छात्र मौहम्मद अमन ने सुबह फोन पर अपनी बदकिस्मती की दास्तां सुनाई। अमन ने बताया कि भारतीय एंबेसी की एडवाइजरी जारी हुई थी कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को पोलैंड के रास्ते स्वदेश पहुंचाया जाएगा। इसलिए पोलैंड बार्डर तक अपने संसाधनों से पहुंचे। अमन ने बताया कि वे तथा उनके करीब 25 साथी ल्विव शहर से चार कैब कर पोलैंड बार्डर की ओर बढ़े, लेकिन बार्डर से 35 किमी. पहले ही जाम के चलते उन्हें कैब छोड़नी पड़ी। इसके बाद वे माइनस पांच डिग्री टेंप्रेचर में 35 किमी. पैदल चलकर 9 घंटे में बार्डर तक पहुंचे। अमन ने बताया कि पोलिश बार्डर तीन किमी. पहले उन्हें रोक लिया गया। इसके बाद भारतीय एंबेसी से दूसरी एडवाइजरी जारी हुई कि सभी लोग वापस चले जाएं। फिलहाल आगे नहीं जाया जा सकता। अमन ने बताया कि जब उन्हें भारतीय एंबेसी से पता चला कि उन्हें पोलिश बार्डर के रास्ते यूक्रेन से निकालने का इंतजाम किया जा रहा है। वे लोग खाने का बचा सामान तथा गैर जरूरी कपड़े ल्विव शहर में ही छोड़कर जरूरी सामान के साथ आगे ढ गए थे। लेकिन अब न तो उनके पास खाने को कुछ बचा है और न ही वापस जाने के लिए कोई संसाधन ही नजर आ रहा है । अमन ने बताया कि पोलिश बार्डर के आसपास भी लगातार खतरा बताया जा रहा है। टेंप्रेचर काफी कम है, ठंड के चलते वे लोग जमे जा रहे हैं। बहुत घबराहट हो रही है। अमन के साथ अन्य भारतीय छात्रों ने भी मीडिया के माध्यम से भारतीय सरकार से गुजारिश की है कि उनकी मदद की जाए। वहीं जिला प्रशासन का कहना है कि यूक्रेन में फंसे छात्रों को सकुशल वापस लाने के लिए यहां से जानकारी एकत्र करते हुए सरकार से सम्पर्क कर सूचना भेजी जा रही है। अभी तक यहां पर करीब 40 छात्रों के बारे में जानकारी मिली है। राज्य सरकार ने हेल्पलाइन भी शुरू की है। इसके साथ ही भारतीय दूतावास से भी सम्पर्क करते हुए विदेश मंत्रालय को भी अवगत कराया जा रहा है। लगातार वहां पर फंसे छात्र छात्राओं के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास किया जा रहा है।