नगर पंचायत बोर्ड सदस्यों को भी पता नहीं, कहा खर्च हुआ करोडो रुपया …

शामली-जलालाबाद से शाहवेज खान की रिपोर्ट
”तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है.
मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है”..
अदम गोंडवी की लिखी यह चंद लाइन आज सत्य साबित हो रही है शामली के जलालाबाद में…
स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत नगर पंचायत जलालाबाद को प्राप्त 1 करोड़ 64 लाख 69 हजार की धनराशि का समाचार कुछ समाचार पत्रों मे छपने के बाद कस्बे की जनता में सुगबुगाहट शुरू हो गई है कि आखिर करोड़ों रुपए को स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत कस्बे में कहां खर्च किया गया है।क्योंकि नगर के अधिकांश सभासद एक स्वर में स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत खर्च की गई धनराशि बारे में अनभिज्ञता जता रहे हैं।यह एक बड़ा सवाल बन गया है कि आखिर करोड़ों रुपए की धनराशि सभासदों को बिना जानकारी दिए नगर पंचायत द्वारा कैसे खर्च कर दी गई।या फिर स्वच्छ भारत अभियान धरातल पर न चलकर केवल फाइलों तक ही सीमित है या फिर सभासद सबकुछ जान कर भी अंजान बन रहे हैं।
स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत अब तक नगर पंचायत जलालाबाद को कुल 1 करोड़ 64 लाख 69 हज़ार रुपये मिलने का समाचार बृहस्पतिवार को प्रकाशित हुआ तो नगर के लोगों में चर्चा का विषय बन गया कि स्वच्छ भारत अभियान में नगर पंचायत को अब तक जो करोड़ों रुपया मिला है. आखिर उसे कहां खर्च किया गया है, क्योंकि समाचार पत्र में निर्वाचित अधिकांश सभासदों ने आरोप लगाया है कि स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत कितना पैसा नगर पंचायत जलालाबाद को मिला है इसके बारे में अधिशासी अधिकारी विजय आनंद ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी है. साथ ही सभासदों ने यह भी आरोप लगाया है कि इस धनराशि को कहा खर्च किया गया इसके बारे में भी उन्हें कोई जानकारी नहीं है अब यहां सवाल यह उठता है कि क्या करोड़ों रुपए की धनराशि अधिशासी अधिकारी एवं चेयरमैन ने बिना सभासदों की सहमति के ही खर्च कर दी है.
क्योंकि वार्ड नंबर 4 के सभासद अर्जुन रावड़ा का आरोप है कि आज तक स्वच्छ भारत मिशन के सम्बंध में अधिशासी अधिकारी ने कोई मीटिंग नहीं ली है,नहीं मेरे द्वारा आज तक स्वच्छ भारत से सम्बंधित किसी मीटिंग के एजेंडे पर हस्ताक्षर करवाए गए हैं।कुछ लोग दबी जबान में चाय की दुकानों व नुक्कड़ चौराहे पर चर्चा कर रहे हैं कि इतना पैसा स्वच्छ भारत अभियान में सरकार ने दिया है, तो नगर पंचायत जलालाबाद ने यह पैसा कहा ख़र्च किया है वह दिखाई क्यों नहीं दे रहा है? लोग एक दूसरे से सवाल कर रहे हैं कि क्या इस पैसे की बंदरबांट कर ली गई है।क्योंकि नगर में गीला सूखा कूड़ा अलग-अलग इकट्ठा करने के लिए कूड़ेदान तक नजर नहीं आते हैं।दो चार स्थानों पर कुछ समय पहले स्टील के कूड़ेदान जरूर रखवाये गए थे जो लगभग 1 सप्ताह बाद ही वहां से गायब हो गए थे।क्या यह कूड़ेदान चोरी हो गए थे अगर ऐसा था तो नगर पंचायत द्वारा उनकी चोरी की रिपोर्ट क्यों दर्ज नहीं कराई गई। या फिर इन कूड़ेदान के गायब होने में नगर पंचायत की मिलीभगत थी इसका जवाब किसी के पास नहीं है।अगर सार्वजनिक शौचालय के बारे में बात की जाये तो अक्सर बन्द पड़ा रहता है या जर्जर हालत में है वहां कोई सफाई व्यवस्था नजर नहीं आती है उन जर्जर शौचालय में शौच करना असंभव प्रतीत होता है स्वच्छ भारत मिशन में नगर पंचायत द्वारा खर्च की गई करोड़ों रुपए की धनराशि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को आइना दिखा रही है।बोर्ड के सभासदों का खर्च की गई धनराशि के सम्बन्ध में अनभिज्ञता जताना नगर पंचायत मे अन्दर ही अन्दर सबकुछ सही नहीं होने का इशारा कर रहा है।लोग एक दूसरे से चर्चा कर है कि पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।चर्चा है कि यदि शासन द्वारा प्रकरण को गंभीरता से लेकर जांच का दायरा बढ़ाया गया तो इस जांच की आंच दूर तक जायेगी।दूसरी तरफ समाचार पत्र में खबर छपने का असर यह हुआ कि बृहस्पतिवार को भीमराव अम्बेडकर जयंती का अवकाश होने के बाद भी नगर पंचायत जलालाबाद कार्यालय खुला हुआ था और कुछ कर्मचारी अन्दर गुपचुप तरीके से अधूरी पड़ी फाइलों को सही करने में लगे हुए थे।
अवकाश के दिन नगर पंचायत कार्यालय खुला होने के बारे में जब अधिशासी अधिकारी से उनके मोबाइल पर सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो उनसे सम्पर्क नहीं हो सका।