खतौली उपचुनाव: कवाल में काल का ग्रास बने गौरव की मां ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान

मुजफ्फरनगर।जानसठ कोतवाली क्षेत्र के कवाल में हुए दंगों की वजह से दोषी ठहराए गए विधायक की सदस्यता चले जाने के बाद खतौली सीट पर अब उपचुनाव हो रहा है। लेकिन खतौली सीट के इस उपचुनाव पर अब एक बार फिर से कवाल कांड की छाया पडने जा रही है। कवाल कांड में मारे गए गौरव की मां ने अब इस सीट पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। बीजेपी के ऊपर अपने बेटे की हत्या को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए गौरव की मां ने अब निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान किया है।

उपचुनाव में एमआईएमआईएम नहीं होगी शामिल
खतौली विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सांसद असद्दीन औवेसी की पार्टी आल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है। मीडिया को जारी एक बयान में पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष शौकत अली ने स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी मैनपुरी लोकसभा, रामपुर व खतौली विधानसभा में अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतार रही है। पार्टी ने अपनी पूरी ताकत निकाय चुनाव में लगा दी है। पूरा संगठन निकाय चुनाव के प्रत्याशियों के चयन एवं उनकी जीत की रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। उन्होंने कहा कि मीडिया का एक तबका उन्हें बदनाम करने में जुटा हुआ है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि खतौली सहित प्रदेश के तीनों स्थानों पर हो रहे उपचुनाव में एमआईएमआईएम चुनाव नहीं लड़ेगी।
अधिकार पार्टी व सुभासपा के प्रत्याशी हुए घोषित
उपचुनाव में सुभासपा व भागीदारी पार्टी के संयुक्त गठबंधन ने यहां रमेश प्रजापति को चुनाव मैदान में उतारा है। सुभासपा ने इससे पहले सपा गठबंधन के साथ मिलकर प्रदेश में चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव के बाद दोनों पार्टियों के बीच ताल्लुक खराब हो गये थे। खतौली विधानसभा सीट पर प्रजापति समाज के वोटरों की संख्या छह हजार से अधिक है। ऐसे में सुभासपा ने प्रजापति समाज के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारकर अपना शक्ति प्रदर्शन करना उचित समझा है। वहीं दूसरी ओर जबरन सेवानिवृत्त आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पार्टी अधिकार सेना पार्टी ने भी यहां अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है। अधिकार सेना की कार्यालय प्रभारी नूतन ठाकुर ने मीडिया को जारी पत्र में बताया कि खतौली सीट पर खालापार निवासी मोहम्मद युसुफ को चुनाव मैदान में उतारा गया है। बता दें कि खतौली सीट पर लगभग 96 हजार मुस्लिम वोट हैं, जो कि निर्णायक संख्या में बताये गये हैं। यहां सर्वाधिक मुस्लिम वोटर ही है, जिसको लेकर विपक्ष हमेशा ऐसे प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारता है, जो मुस्लिमों का वोट एकजुट होकर अपने पाले में कर सके।