छोटे चौधरी को चाय ना पिलाने का जीवन भर रहेगा अहसास

मुज़फ्फरनगर। पश्चिम उत्तर प्रदेश में दिलो पर राज करने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के पुत्र चौधरी अजित सिंह अपनी अलग छाप रखते थे। अब वो इस दुनिया से अलविदा हो गये। मगर यादे बाकी रह गई। चौधरी अजित सिंह ने अपनी सियासत का केंद्र और राज्य की सरकारों को लोहा मनवाया था।
चौधरी अजित सिंह ने कभी नफरत की राजनीति को तरजीह नहीं दी।वो हमेशा देश विदेश में किसानो एवं मजदूरो की मजबूत आवाज़ माने जाते थे वो जमीनी तौर पर कार्यकरताओं से परिचित रहते थे।
चौधरी अजित सिंह ने जाटो एवं मुस्लिमों के गठजोड़ को जोड़ा।जिले में 2013 में हुये दंगो से जाटो और मुस्लिमों के बीच खाई पैदा हो गयी थी। जिससे रालोद का जाटो और मुसलमानो का प्रारम्परिक वोट खिसक गया था। जिससे रालोद को काफी नुकसान हुआ और सियासी तौर पर रालोद कमजोर हो गयी। लेकिन छोटे चौधरी ने हार नहीं मानी और दोनों समुदायों के बीच पटी खाई पाटने के लिए जमीनी सतह पर मेहनत की और इसमें चौधरी साहब को कामयाबी भी मिली।
रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह ने मुज़फ्फरनगर में संवाद कार्यकर्मो को आयोजन किया और दोनों समुदायों के लोगो को पास बैठाया एवं समाजिक धार्मिक संगठनों से मिले व् जिले में बहुत से प्रोग्राम किये। इस दौरान 8 सितंबर 2018 को कस्बा बुढ़ाना के डाक बंगले पर चौधरी साहब का संवाद कार्यक्रम था उसमे कस्बे के रालोद नेता बाली त्यागी और रालोद के प्रत्याशी रहे एवं वरिष्ठ नेता पूर्व राज्य मंत्री चौधरी योगराज सिंह ने कार्यक्रम में शिरकत के लिए जमीयत उलमा-ए-हिन्द शाखा बुढ़ाना की यूनिट को चौधरी अजित सिंह के जनसंवाद कार्यक्रम में आने के लिये निमंत्रण दिया था। और इस निमंत्रण पर सभी जमीयत उलमा के पदाधिकारी प्रोग्राम में गये थे और चौधरी साहब ने प्रतिनिधि मंडल से कहा की में तो भाईचारा चाहता हू और मेरी यही कोशिश हे छोटे चौधरी के विचारो को सुनकर पदाधिकारियों ने प्रसन्नता व्यक्त की थी। कार्यक्रम से दो दिन पहले चौधरी साहब से जमीयत उलमा के वरिष्ठ पदाधिकारी मौ0 आसिफ कुरैशी की फोन से बात हुई जिस पर चौधरी अजित सिंह ने कार्यक्रम में आने को कहा था। जिस पर आसिफ कुरैशी ने कहा चौधरी साहब चाय हमारे घर पर ले लो, जिस पर चौधरी साहब ने कहा में फिर कभी आऊंगा।आप चाय यहीं ले आना भूलवश आसिफ कुरैशी चाय नहीं लेकर पहुँचे। तब चौधरी साहब ने कहा आसिफ मेरी चाय एक केतली में ले आते और हँसते हुये कहा ‘पिलाना नहीं चाह रहा होगा’। आसिफ अब कहते है कि चौधरी साहब को चाय ना पिलाने का अहसास हमेशा रहेगा।