56 वर्ष बाद सैनिक के लापता होने की FIR.. शादी से अगले दिन ही जंग में शामिल होने गया था… वापस नही आया

देहरादून के रानीपोखरी थाने पर लापता सैनिक के भांजे ने दर्ज करवाई गुमशुदगी
(मयूर गुप्ता)
देहरादून। करीब 56 साल पहले जिस समय भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध छिड़ा था उस समय देहरादून के रानीपोखरी निवासी भारतीय सेना में बतौर सिपाही के पद पर तैनात एक व्यक्ति जिसका विवाह युद्ध से एक दिन पूर्व ही हुआ था वह अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए और अपनी नई नवेली दुल्हन को बीच मछधार में छोड़कर युद्ध में शामिल होने के लिए अपनी कमांड में रूड़की चला गया था लेकिन उसके बाद उसका कोई सुराग नहीं मिला तो 56 साल बाद अपने मामा के 1971 के युद्ध के समय लापता (गायब) हो जाने की गुमशुदगी रिपोर्ट देहरादून के रानीपोखरी थाने पर दर्ज करवाई है।
रानीपोखरी से करीब 18 किलो मीटर दूर पहाड़ों पर ग्राम मांदसी (गडूल) में अपने परिजनों के साथ निवास करने वाले हुक्म सिंह पुत्र गुन्दर सिंह भारतीय सेना में बतौर सिपाही के पद पर तैनात हुआ था। अपने देश की सीमाओं को दुश्मनों से बचाने और हर भारतीय की रक्षा करने के इरादे से सेना में भर्ती हुए हुक्म सिंह का इस दौरान 1971 में समीप के गांव इठाना निवासी राजवती के साथ विवाह हो गया था। जैसे ही हुक्म सिंह का राजवती से विवाह हुआ उससे अगले दिन 3 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध प्रारंभ हो गया था। दुश्मन देश से युद्ध हो जाने की खबर मिलते ही सेना के सभी जवानों की छुटटीया रद कर दी गई थी और हुक्म सिंह भी 4 दिसंबर 1971 को अपनी नई नवेली दुल्हल राजवती को अपने गांव में छोड़कर युद्ध में शामिल होने के लिए अपने दस्ते (स्कवायड) में शामिल होने के लिए रूड़की चला गया था।
लेकिन भारत-पाक्स्तिन युद्ध के बाद से जब हुक्म सिंह का कोई सुराग नहीं मिला तो उसके पिता गुन्दर सिंह ने अपने अपने एक रिश्तेदार के साथ उसकी काफी तलाश की लेकिन हुक्म सिंह का कोई सुराग नहीं लग सका। उधर अपने पति के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिलने के बाद उसकी पत्नी राजवती ने भी वर्ष 1972 में अपने प्राण त्याग दिए थे। हुक्म सिंह के भांजे विक्रम सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि उसके नाना गुन्दर सिंह और उसके पिता सौपाल सिंह ने रूड़की हुक्म सिंह के दस्ते में जाकर जानकारी कि तो जानकारी मिली की सेना ने उसे भगौड़ा साबित कर रखा है।
भारतीय सेना के हिस्सा रहे हुक्म सिंह के 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद से गायब हो जाने पर अब करीब 56 साल बाद उसके भांजे विक्रम सिंह की ओर से रानीपोखरी थाने पर उसके गुमशुदा हो जाने की तहरीर देकर रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है तथा स्थानीय पुलिस से हुक्म सिंह जिसकी उम्र अब करीब 82 वर्ष हो चुकी है को तलाश करने की मांग की।
भू-माफियाओं ने करोड़ों रुपये में बेच डाली थी सेना के जवान हुक्म सिंह की 22 बीधा जमीन
देहरादून। अपने मामा को भगौड़ा साबित किए जाने के बाद विक्रम सिंह और उसके परिजनों ने हुक्म सिंह की करीब 22 बीधा जमीन पर खेती प्रारंभ कर दी और उसकी देखभाल करने का बीड़ा उठा लिया। देहरादून के क्राइम रिपोर्टर मयूर गुप्ता को दूरभाष पर जानकारी देते हुए हुक्म सिंह के भांजे तथा रिपोर्टकर्ता विक्रम सिंह ने बताया कि देहरादून के एक भू-माफिया ने रजिस्ट्रार कार्यालय में अपने आपकों हुक्म िंसह दर्शाते हुए जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर हुक्म सिंह की 22 बीधा जमीन को करोड़ों रुपये में देहरादून के ही भुपिन्द्र नामक व्यकित को बेच डाली थी। विक्रम सिंह ने बताया कि उसके मामा की जमीन को भू-माफियाओं द्वारा बेच दिए जाने की जानकारी जब उसे और उसके परिजनों को चली तो उन्होंने इस संबंध में रानीपोखरी थाने पर संगीन धाराओं में उक्त भू-माफिया के खिलाफ अभियोग पंजीकृत करवाते हुए उसे सलाखों के पीछे भेजा था। उसने बताया कि आज भी वह उक्त भूमि पर हल चलाकर फसलों को खड़ी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है।




