कल कोई और ही देखेगा बहारे गुलशन, हम तो बस पेड़ लगाते हुए मर जायेंगे..

मुजफ्फरनगर में उर्दू डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन के तत्वावधान में जश्न ए आज़ादी के मौके पर एक मुशायरा अम्बा विहार में आयोजित हुआ। जिसके कनवीनर असद फारूकी और कलीम त्यागी रहे। अध्यक्षता डॉ० शमीमुल हसन और संचालन मास्टर अल्ताफ़ मशल ने की। मुख्य अतिथि अभिनेता सलीम गौर और विशिष्ट अतिथि सरदार बलजीत सिंह रहे।
इस मौके पर डॉ. शमीमुल हसन ने अपने खिताब में कहा कि ये छोटी छोटी निशस्त उर्दू के फ़रोग़ में बहुत ही कारगर साबित होती हैं। जब लोग उर्दू शायरी सुनते हैं तो इसकी तरफ खिंचे चले आते हैं और जो उर्दू कम जानते हैं वो भी सीखने की कोशिश करते हैं। इसलिए ऐसी निशस्त कराना बहुत ज़रूरी है ताकि उर्दू ज़िंदा रहे।
मुशायरा आयोजक असद फारूकी ने कहा कि हम लगातार उर्दू के फ़रोग़ के लिए काम करते रहेंगे और जब जब भी संस्था को हमारी ज़रूरत होगी हम बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेंगे। और हर माह इसी तरह मुशायरे होते रहेंगे जिससे हमारे ज़िले की नोजवान शायरों को शायरी करने और सुनने का मौका मिलता रहे। उन्होंने मुशायरे में आये सभी शायरों और श्रोताओं का शुक्रिया अदा किया
यू०डी०ओ० अध्यक्ष कलीम त्यागी ने कहा कि उर्दू ज़बान बहुत मीठी ज़बान है ये क़ौमी यकजहती की ज़बान होने के साथ साथ खालिस हिंदुस्तानी ज़बान है। बड़े बड़े हिन्दू, मुसलमान और सिख शायरों ने अपने खूने जिगर से इस ज़बान को सींचा है। ये ज़िंदा ज़बान है और हमेशा ज़िंदा रहेगी।
खास खास शेर पेश किए जाते हैं।
मुझ को भुला दो तुमने खत इन लिखा है
भूल के तुझ को ज़िंदा रहना मुश्किल है।
डॉ० तनवीर गौहर
वो जब भी होंठों पे मुस्कान लेके आता है।
हमारे क़त्ल का सामान लेके आता है।
अहमद मुज़फ़्फ़रनगरी
मुसलसल जुस्तजू से यूं तो पिंजरा टूट जाता है
मगर उस वक़्त जब थक कर परिंदा टूट जाता है।
शाहजेब शरफ़
तुझे ता उम्र चाहेगा ये दिल साथी न बदलेगा
ये ताला टूट जाएगा मगर साथी न बदलेगा।
अरशद ज़िया
कल कोई और ही देखेगा बहारे गुलशन
हम तो बस पेड़ लगाते हुए मर जायेंगे।
नवेद अंजुम
उम्र भर की वफ़ा हमने, मिला कुछ भी नहीं
मिट गए हम, वो ये कहते हैं हुआ कुछ भी नहीं।
अल्ताफ़ मशल
मैं कब सारा ज़माना चाहता हूं!
तुझे अपना बनाना चाहता हूं!!
तहसीन क़मर असारवी
हम ख्यालो को मजा बात में आ जाता है।
लुत्फ ही लुत्फ मुलाकात में आ जाता हैं!
सद्दाम अली शाद
इसके अलावा खुर्रम सिद्दीकी ने भी अपने शेर पेश किया। मुशायरा बहुत कामियाब रहा । शायरों ने अपना बेहतरीन कलाम पेश किया।श्रोताओ में खास तौर से अमीर आज़म एडवोकेट, बदर खान, शमीम कस्सार, रईसुद्दीन राणा, औसाफ़ अहमद, गौहर सिद्दीक़ी, सुलेमान सिद्दीकी, इंजीनयर नफीस राणा, इंजिनीयर वसीम फ़ारूक़ी, डॉ० सलीम सलमानी, मास्टर शहज़ाद, मास्टर इसरार, शावेज राव, शकील अहमद, इकराम कस्सार, इंजीनयर इरफान, मौ० अमजद, मौ० हारिस, हाफिज फहीम, शादाब खान, अंजुम एडवोकेट मौजूद रहे।