भगवान को पांडुकशिला पर विराजमान करके अभिषेक किया

मेरठ। आनंदपुरी स्थित दिगंबर जैन मंदिर में 10 लक्षण पर्व धूमधाम से मनाया गया। सर्वप्रथम भगवान को पांडुकशिला पर विराजमान करके अभिषेक किया गया। इसके उपरांत भगवान पर शांति धारा की गई। शांति धारा का सौभाग्य अतुल जैन और गौरव जैन को प्राप्त हुआ।
अभिषेक शांतिधारा में विनय जैन, विपिन जैन, सुनील जैन, राजीव जैन, सत्येंद्र जैन का सहयोग रहा। इसके बाद 10 लक्षण पर्व के विशेष अवसर पर तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म की पूजा करके 11 अर्घ चढ़ाए गए।कल्याण मंदिर स्तोत्र का विधान किया गया, जिसमें 44 अर्घ मांडले पर चढ़ाए गए। शाम को सामूहिक आरती की गई।
प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि आज उत्तम आर्जव का दिन है। क्षमा और मार्दव के समान ही आर्जव भी आत्मा का स्वभाव है। आर्जवस्वभावी आत्मा के आश्रय से आत्मा में छल-कपट मायाचार के अभावरूप शांति-स्वरूप जो पर्याय प्रकट होती है, उसे भी आार्जव कहते हैं। यद्यपि आत्मा आर्जवस्वभावी है, तथापि अनादि से ही आत्मा में आर्जव के अभावरूप मायाकषायरूप पर्याय ही प्रकट से विद्यमान हैं। सभी भक्तों ने बड़े उत्साह के साथ इस पूजा में भाग लिया।
दसलक्षण पर्व के तृतीय दिवस उत्तम आर्जव पर्व पर श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सदर में श्री कल्याण मंदिर विधान आर्यिका पुराण मति व आर्यिका दिव्यमती माता जी के सानिध्य में सानंद सम्पन्न हुआ। माता जी ने अपने प्रवचन में बताया कि आर्जव धर्म का अर्थ है कि स्वयं को सरल बनाना, अर्थात मन, वचन,काया के एक से भाव होना*आज के सौधर्म इंद्र श्री श्यामलाल जी शरद जी जैन जी* (एडवोकेट) परिवार ने सभी क्रिया भक्ति भाव के साथ पूर्ण की। आज का विशेष आकर्षण का केंद्र बच्चों द्वारा मांडले पर अष्ट प्रातिहार्य स्थापना एवम पूर्ण भक्ति भाव से करने का रहा।आयोजन में विशेष सहयोग विनोद जी, सचिन, मनीष, संजय, सौरभ,प्रीति, प्रियंका, संतोष,रेखा जी का रहा।