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वेस्ट यूपी में घटी गन्ने की पैदावार तो चिन्तित हुआ किसान

बढ़ती मंहगाई के सापेक्ष घटती आमदनी,बेहाल हो रहा किसान

(काज़ी अमजद अली)
मुज़फ्फरनगर।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अर्थव्यवस्था की लाइफलाइन माने जाने वाली गन्ने की फसल आर्थिक परिस्थितियों को प्रभावित करने के अलावा सियासत का मिजाज बदलने में भी बखूबी सक्षम है। मुख्य भूमिका में शामिल गन्ने की फसल की पैदावार का घटना किसानों के लिये चिन्ता पैदा कर रहा है। पहले से ही कर्ज में डूबे किसान की आमदनी घटने पर महँगाई के साथ सामंजस्य बैठाना हरगिज आसान नहीं होगा। गन्ने की घटी पैदावार के लिये कारण कुछ भी हो, फसल में बढ़ती लागत किसान को अलग से परेशान कर रही है।
गुड़ की मिठास के लिये मशहूर मुजफ्फरनगर के लिये गन्ने की पैदावार का 30 प्रतिशत तक कम होना बड़ी परेशानी का सबब बनने वाला है। किसानों की आमदनी को दोगुना करने का आश्वासन देने वाली सरकार की कृषि नीतियों की कमी को उजागर करती है। जानकारों के अनुसार तकनीकी कुप्रबन्धन सहित अनेक कारण गन्ने की घटी पैदावार के जिम्मेदार हैं। दिन प्रतिदिन फसलों में बढ़ती लागत कृषि क्षेत्र के लिये लिये नुकसानदायक तो है ही, वहीं अब घटती पैदावार खेती से उन्मुख कर सकती है।


मुजफ्फरनगर के मोरना क्षेत्र में 16293 हेक्टेयर भूमि पर कृषि की जाती है, जिसमें लगभग 15000 हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की फसल उगाई जाती है। रबी की मुख्य फसल गन्ने की पैदावार घटना अनेक क्षेत्रों को प्रभावित करेगा। मोरना शुकतीर्थ मार्ग पर खेती करने वाले प्रगतिशील किसान चौ. ब्रजवीर सिंह ने बताया कि इस वर्ष गन्ने की पैदावार 30 प्रतिशत कम है। खाद, पेस्टिसाइड सहित डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि किसानों की कमर तोड़ रही है। गन्ने में रैड रोट की बीमारी आने के कारण उन्हें नया बीज खरीदना पड़ा है। नए बीज में रोग ना आ जाए, इसके लिए अतिरिक्त दवाओं को प्रयोग में लाना पड़ रहा है। करहेडा गांव निवासी किसान बिन्नू राठी ने बताया कि क्षेत्र में मुख्य फसल गन्ना है। गलत प्रशासनिक नीतियों के कारण गन्ने की पैदावार कम हुई है। उत्पादन के सापेक्ष चीनी मिलों की पेराई क्षमता कम है, जिससे चीनी मिलें जून माह तक चलती है। देर से कटाई होने के कारण गन्ने की फसल को फलने फूलने के लिए समय नहीं मिलता। मिलों की पेराई क्षमता बढ़ने से समय से गन्ने की फसल का निस्तारण हो सकेगा। भाकियू नेता चौ. उदयवीर सिंह ने बताया कि कृषि विशेषज्ञों को लगातार गन्ने की फसल की जांच करनी चाहिए तथा मुफ्त में नये बीज किसान को उपलब्ध कराये जाएं। जिस खेत में 80 कंुतल का बीघा पैदावार हुई थी। इस वर्ष 50 कुंतल ही वजन निकल रहा है। प्रत्येक वस्तु पर दाम बढ रहे हैं। लोहा, सीमेन्ट, रोडी, डीजल आदि के दाम कहां से कहां पहुंच गये हैं। सरकार गन्ने का भाव क्यों नहीं बढाती। चीनी व शीरे का प्रयोग दूसरे उत्पादों में कर गन्ने का भाव बढाया जाये। राठी एग्री क्लीनिक के संचालक चौ. उदयवीर सिंह राठी का कहना है कि मिलों द्वारा देर तक गन्ने की फसल का निस्तारण करना, अगस्त, सितम्बर माह में बारिश का कम होना तथा गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष जनवरी फरवरी माह में बारिश के कम होन के कारण भी गन्ने की फसल प्रभावित हुई है। इसके अलावा रेड रोट जैसी बीमारी ने गन्ने के वजन को कम किया है। समय रहते कृषि क्षेत्र में सुधारों की जरूरत है।

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