काँटों से पिरोते हैं वो फूलों की माला.??

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष:–
सुरक्षा और सम्मान मिले तो आसान हो डगर
(काज़ी अमजद अली)
मुज़फ्फरनगर। अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय दिवसों पर विभिन्न विषयों को लेकर कार्यक्रमों का आयोजन जागरूकता बढाने तथा सामाजिक उत्थान व जनहित के लिए सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर किया जाता है। नारी सुरक्षा, नारी सशक्तिकरण व नारी सम्मान को लेकर लगातार कार्यक्रमों का आयोजन सरकार द्वारा किया जा रहा है। जागरूकता के माध्यम से नारी उत्थान को लेकर प्रत्येक विभाग गम्भीरता जाहिर तो करता है, किंतु नारी शोषण उत्पीड़न के बढ़ते मामले इन सभी प्रयासों को धता बताते नजर आते हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में महिलाओं को आरक्षण के माध्यम से प्रतिनिधित्व प्रदान करने का अवसर दिया जाता है। समय के साथ-साथ क्या महिलाओं ने खुद को इस जिम्मेदारी के लिए तैयार किया है अथवा नाम महिला का व काम पुरुषों का रहने वाला है। महिला प्रतिनिधि की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को भी और प्रभावी कदम उठाने होंगे। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला प्रतिनिधित्च को मजबूत करने के लिए महिलाओं ने अपने विचार साझा करते हुए अभी और अधिकारों की मांग उठाई है।मुज़फ्फरनगर ज़िले के मोरना ब्लॉक क्षेत्र में बीती पंचायत योजना में 20 महिला ग्राम प्रधान निर्वाचित हुई थी तथा दो महिलाएं जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थी। अगर प्रतिनिधित्व की बात की जाए, तो बेहड़ा सादात ग्राम प्रधान मंजू इस मामले में प्रशंसा की वाजिब हकदार नजर आती हैं, जिन्होंने समय-समय पर महिलाओं से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया तथा अपने आत्मविश्वास के सहारे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी। इसके अलावा जौली व मोरना, भोपा की महिला प्रधान भी कार्यक्रमों में दिखाई पडी। महिला जिला पंचायत सदस्य इस मामले में कंजूस ही नजर आई हैं। इस सम्बंध में समाजसेविका गीता धारीवाल का कहना है कि महिलाओं को आरक्षण के चलते प्रतिनिधि तो बना दिया जाता है किन्तु सभी कार्य में पुरूष ही आगे रहते हैं। महिला नाममात्र की प्रतिनिधि रहती है। इस बारे में प्रशासन व महिला प्रतिनिधि दोनों को ही प्रयास करना होगा। महिला को अगर कानून अधिकार दे रहा है तो उसका लाभ उठाए तथा अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का माध्यम बनें। नगर पंचायत चेयरमैन सरला देवी ने बताया कि वह सभी सरकारी कार्यक्रमों में भाग लेती है। अगर कानून महिलाओं को अधिकार प्रदान कर रहा है तो महिलाओं की भी जिम्मेदारी है कि वह स्वयं आगे आये। बेहडा सादात स्थित स्वामी कल्याणदेव ओमानन्द गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्राचार्या डॉ. मधु देवी का कहना है कि शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्र में भी महिलाएं अपनी पहचान ग्रामीण स्तर पर भी स्थापित किये हुए है। आंगनबाडी, आशा, स्वयं सहायता समूह सहित अनेक क्षेत्रों में महिलाएं कार्य कर रही है। सामाजिक सुरक्षा अभी भी एक समस्या ही है। आए दिन विपरीत समाचार पढने व देखने को मिलते हैं, जो महिला सुरक्षा पर सवाल खडे करते हैं। महिला अपराधों का ग्राफ नीचे आये तो एक सुखद वातावरण बन सकेगा। नगर पंचायत की वार्ड सभासद पुष्पा देवी ने बताया कि कानून महिलाओं को अधिकार तो देता है। किन्तु सामाजिक परिवेश महिलाओं के लिए अभी उतना सुखद नहीं है। घर के भीतर व बाहर दोनों जगह महिलाओं को सुरक्षा व सम्मान देना होगा। महिलाएं केवल प्रयोग का साधन न हों। ये तो समाज को हर हाल में सुनिश्चित करना है। महिला केवल आरक्षण के सहारे ही न बैठें। दूसरी स्थिति में भी अपने प्रतिनिधित्व को आगे बढायें, जिससे अन्य महिलाओं को भी साहस मिले। प्रिया निर्वाल ने बताया कि सरकार महिलाओं के लिए नारी सशक्तिकरण के अनेक कार्यक्रम आयोजित करती रहती है। महिलाओं को भी शिक्षा के माध्यम से अपने आपको जागरूक करना होगा तथा चुनौतियों का सामना कर प्रगति के पथ पर आगे बढना होगा। संतोष उपाध्याय का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में ब्लॉक स्तर पर राजनीतिक पार्टियां महिला प्रतिनिधित्व को नजरअंदाज कर रही हैं। ब्लॉक अध्यक्ष, मण्डल अध्यक्ष, विधान सभा सहित अन्य राजनीतिक पदों महिलाओं की उपस्थिति नगण्य ही नजर आती है।