आसान कहां है जग मे राम बन पाना…

(रामनवमी पर विशेष)
पीड़ा का भी मधुरिम
मुस्कान बन जाना…
आसान कहां है जग मे
राम बन पाना…
मर्यादा पुरुषोत्तम ने
आजन्म मर्यादा का मान किया
स्वजनो की संतुष्टि हेतु
स्वाधिकार भी त्याग किया
अपनी इच्छाओं को भूल
औरों के हित मे ढल जाना…
आसान कहां है जग मे
राम बन पाना…
पिता की मूक विवशता को
मां की आहत ममता को
विमाता की आशंका को
समय की आवश्यकता को
देख नियति के बंधन में
स्वीकार किया वन में जाना…
आसान कहां है जग मे
राम बन पाना….
युवाओं को आदर्श दिया
अन्याय का विरोध किया
निबलों का उद्धार किया
दुष्टों का संहार किया
निंदा और प्रशंसा से दूर
कर्तव्य पथ पर बढ़ते जाना….
आसान कहां है जग में
राम बन पाना….
पिता का अंतिम दर्शन ना कर पाना
माताओं का दुख ना बांट पाना
जनहित में पत्नी भी तज देना
संतान सुख से वंचित रहना
निष्काम भाव से सन्यासी सा
राजधर्म निभाते जाना…
आसान कहां है जग में
राम बन पाना…
विपदा कितनी भी भारी हो
चहुं और भले अंधियारी हो
विरोध में दुनिया सारी हो
बस हिम्मत ना हारी हो
हिय मे धरे तुम राम को
बस सत्य पथ पर चलते जाना…
आसान कहां है जग में
राम बन पाना…
सोनिया सिंह,
उत्तर प्रदेश, बांदा