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महापुरूषों के जीवन को युवा पीढ़ी में रोपित कर रहा है सुभारती विश्वविद्यालय : रामदास आठवले

सुभारती विश्वविद्यालय में स्वाधीनता संग्राम में शहीद श्री धनसिंह कोतवाल के योगदान पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा आईसीएसएसआर से अनुदानित एवं आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज, तथागत शोध पीठ, डा. अम्बेडकर शोध पीठ, नेताजी सुभाष चन्द्रबोस शोध पीठ एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में अमर शहीद श्री धनसिंह कोतवाल की स्मृति में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

मेरठ पहुंचने पर आरएएफ 108 बटालियन के परिसर में कमांडिंग ऑफिसर राजेन्द्र प्रसाद, लोकप्रिय अस्पताल के निदेशक डा. रोहित रविन्द्र एवं सुभारती ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. हिरो हितो ने मुख्य अतिथि, भारत सरकार के केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री रामदास आठवले को पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया।मांगल्या प्रेक्षागृह में कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि भारत सरकार के केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री रामदास आठवले, विशिष्ट अतिथि भारतीय इतिहास संकलन समिति के प्रांतीय संगठन मंत्री डा. कुलदीप त्यागी, सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डा. जी.के. थपलियाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा.शल्या राज, लोकप्रिय अस्पताल के निदेशक डा. रोहित रविन्द्र, सुभारती ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. हिरो हितो ने संयुक्त रूप से अमर शहीद धनसिंह कोतवाल जी के तेल चित्र के समक्ष द्वीप प्रज्जवलन कर किया।
बौद्ध विद्वान भंते डा. चंद्रकीर्ति के नेतृत्व में भिक्षुओं ने मंगलाचरण वंदना प्रस्तुत की।

सुभारती परिवार की ओर से विश्वविद्यालय के पर्यावरण संरक्षण अभियान के तहत पौधा भेंट करके सभी अतिथियों का अभिनंदन किया गया।

स्वागत भाषण सुभारती लॉ कॉलिज के डीन डा. वैभव गोयल भारतीय ने दिया। उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीयता के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यो से सभी को रूबरू कराया।

मुख्य वक्ता डा. कुलदीप त्यागी ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि ग्राम पांचली निवासी शहीद धन सिंह कोतवाल जी 10 मई की क्रान्ति के जनक थे उन्होंने आज के दिन मेरठ में विद्रोही सैनिकों के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरूद्ध क्र्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। उन्होंने बताया कि धनसिंह कोतवाल जनता को अंग्रेजों की हुकूमत के खिलाफ मेरठ के अलावा आस पास के क्षेत्र के लोगो को जागरूक कर रहे थे और सभी भारतीय वीर उनके सम्पर्क में थे, धन सिंह कोतवाल का संदेश मिलते ही हजारों की संख्या में भारतीय क्रान्तिकारी रात में मेरठ पहुंच गये। विद्रोह की खबर मिलते ही आस-पास के गांव के हजारों ग्रामीण मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह पुलिस चीफ के पद पर थे। 10 मई 1857 को धन सिंह ने योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया। और धन सिंह के नेतृत्व में देर रात जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ाकर जेल को आग लगा दी। छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि धन सिंह कोतवाल 1857 की क्रान्ति का बिगुल बजाने वाले पहले भारतीय थे और आज के समय में छात्र छात्राओं को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

मुख्य अतिथि भारत सरकार के केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री रामदास आठवले ने कहा कि शहीद श्री धनसिंह कोतवाल ने भारतीयों के हृदय में स्वाधीनता की मशाल जलाने का काम किया था। उन्होंने कहा कि मेरठ वीरों की भूमि है और शहीद धनसिंह कोतवाल ने स्वतन्त्रता संग्राम में भारतीयों को एकता का संदेश देकर अंग्रेजों के दांत खट्टे करने का कार्य किया था। उन्होंने सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के तहत मनाये जा रहे कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय ने देश के महापुरूषों के सपनों को आत्मसात करने का गौरवपूर्ण कार्य किया है, जो पूरे देश के लिये प्रेरणा का स्त्रोत है। उन्होंने कहा कि सुभारती ग्रुप के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण बौद्ध ने तथागत बुद्ध के संदेश को मेरठ की धरती से विश्वभर में पल्लवित करने का ऐतिहासिक कार्य करके बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर के सपनों को आत्मसात करने का कार्य किया है, जो बहुत सराहनीय है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत भारत की सांस्कृतिक एवं सामाजिक धरोहर को सशक्त करने का कार्य कर रही है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डा. जी.के.थपलियाल ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम में शहीद धनसिंह कोतवाल जी का विशेष योगदान है। उन्होंने कहा कि मेरठ आजादी के आंदोलन के बिगुल की भूमि है। 1857 की क्रान्ति के जनक रहे शहीद धनसिंह कोतवाल को याद करना हम सभी की जिम्मेदारी है ताकि अपनी आने वाली पीढ़ियों को क्रांतिकारियों की शहादत की गाथा सुनाकर उन्हें प्रेरणा दे सके। उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय का मुख्य द्वार शहीद धनसिंह कोतवाल के नाम पर स्थापित है जो विद्यार्थियों को शहीदों के बलिदानों से प्रेरणा दे रहा है।

सुभारती ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. हिरो हितो ने बताया कि आईसीएसएसआर से अनुदानित एवं आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज, तथागत शोध पीठ, डा. अम्बेडकर शोध पीठ, नेताजी सुभाष चन्द्रबोस शोध पीठ एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में शहीद धनसिंह कोतवाल की स्मृति में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय भारत के महापुरूषों के जीवन से अपने विद्यार्थियों को प्रेरित कर रहा है।

धन्यवाद ज्ञापित मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा.शल्या राज ने किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार शहीद श्री धनसिंह कोतवाल जी ने वीरता के साथ विद्रोह के अंगारों को सुलगा कर अंग्रेजों के खिलाफ भारतवासियों को एक जुट करके उनका मुकाबला किया था आज हमे उनसे प्रेरणा लेकर देश हित में कार्य करने चाहिए।

मंच का संचालन डा. नीरज कर्ण सिंह ने किया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय वीर गुर्जर महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अमनदीप सिंह, सुभारती ट्रस्ट के अध्यक्ष डा.हिरो हितो, डा. रेणु शुक्ला, डा. मनिला रोहतगी, डा. अनिता गोस्वामी, प्रतिकुलपति डा. अभय शंकरगौड़ा, अतिरिक्त कुलसचिव सैयद ज़फ़र हुसैन, कार्यक्रम संयोजक डा.सीमा शर्मा, डा. वैभव गोयल भारतीय, डा. पिंटू मिश्रा, डा. मनोज कपिल, डा. शिवमोहन वर्मा, डा. महावीर सिंह, डा.शशिराज तेवतिया, डा. मनोज त्रिपाठी सहित विश्वविद्यालय के छात्र छात्राएं व आयोजन समिति के सभी सदस्य उपस्थित रहे।

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