‘अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए असत्य बोलता है मनुष’

–दसलक्षण पर्व के पांचवें दिन जैन मंदिर में किया गया पंच परमेष्ठी विधान
मेरठ के आनंदपुरी स्थित दिगंबर जैन मंदिर में दसलक्षण पर्व धूमधाम से मनाया गया। सर्वप्रथम भगवान को पांडुकशिला पर विराजमान करके अभिषेक किया गया। इसके उपरांत भगवान पर शांति धारा की गई।
शांति धारा का सौभाग्य शुभम जैन एवं राजीव जैन को प्राप्त हुआ। इसके बाद दसलक्षण पर्व के विशेष अवसर पर पांचवें दिन पंच परमेष्ठी विधान किया गया। प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि आज भगवान पुष्पदंत भगवान का निर्वाण दिवस है। इस उपलक्ष्य में निर्वाण कांड पढ़कर 21 किलो का लड्डू चढ़ाया गया। उत्तम सत्य धर्म की पूजा करके 16 अर्घ चढ़ाए गए। अभिषेक शांतिधारा में विनय, विपिन जैन, अरुण जैन, सुनील जैन प्रवक्ता, सत्येंद्र जैन आदि का सहयोग रहा। शाम को सामूहिक आरती की गई। सभी श्रद्धालुओं ने पूजा पाठ में बढ़ चढ़कर उत्साह के साथ भाग लिया।
झूठ बोलने का प्रधान कारण लोभ
प्रवक्ता ने बताया कि आज उत्तम सत्य का दिन है। मनुष्य अनेक कारणों से असत्य बोला करता है, उनमें से एक तो झूठ बोलने का प्रधान कारण लोभ है। लोभ में आकर मनुष्य अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए असत्य बोला करता है। असत्य भाषण करने का दूसरा कारण भय है। मनुष्य को सत्य बोलने से जब अपने ऊपर कोई आपत्ति आती हुई दिखाई देती है। अथवा अपनी कोई हानि होती दिखती है। उस समय वह डरकर झूठ बोल देता है। झूठ बोलकर वह उस विपत्ति या हानि से बचने का प्रयत्न करता है।