आंखे नम कर गया उर्दू अदब के फलक पर चमकता सितारा, नही रहे नज़्म मुजफ्फरनगरी

अपने बेहतरीन कलाम के जरिये मुजफ्फरनगर का नाम सिर्फ हिन्दुस्तान में नहीं बल्कि पूरे विश्व में रोशन करने वाले मशहूर शायर इकरामुल हक नजम नहीं रहे। वे शायरी की दुनिया में नज्म मुजफ्फरनगरी के नाम से जाने जाते थे। उनके कलाम की गूंज दुबई, पाकिस्तान, सफदी अरब आदि देशो में भी थी। पांच वर्ष तक वे उत्तर प्रदेश सरकार की उर्दू एकेडमी के नामित सदस्य रहे। पचास साल से उर्दू प्रेमियो के दिलो पर राज कर रहे नज्म मुजफ्फरनगरी पिछले कई दिनो से इन्फेक्शन से जूझ रहे थे। सवेरे उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। नगर के मौहल्ला कृष्णापुरी में निवास करने वाले नज्म मुजफ्फरनगरी यहां से अपना उर्दू का अखबार ‘दोआबा टाइम्स’ निकालते थे। उन्होंने दैनिक शाह टाइम्स के सम्पादकीय विभाग में सेवाये दी। लगभग पचास साल तक उर्दू साहित्य को अपना समय दिया। बच्चो को लेकर उनकी कई किताबे आयी। उनका एक अशआर काफी सराहा जाता है। उनका कहना था कि
‘इमारत को संभाले रहती है, बुनियाद की ईटे, मगर क्या किजिए उनका किसी को गम नहीं होता।, सलीका जिनको नहीं खुद जमीं पर चलने का वो मश्वरा हमे देने लगे संभलने का’’।।
सवेरे जैसे ही उनके इंतकाल की खबर सोशल मीडिया के जरिये वायरल हुई उर्दू प्रेमियो में गम की लहर दौड़ गई। दोपहर बाद रहमतनगर स्थित कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
इस्लामाबाद व कराची में भी थी धूम: कलीम त्यागी
UDO के जिलाध्यक्ष कलीम त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान में आयोजित होने वाले मुशायरो में उनकी मौजूदगी भारत की नुमाईन्दगी के रूप में रहती थी ओर वे महफ़िल लूट लेते थे। उन्होंने कहा कि उनकी कमी कभी पूरी नही हो सकती। नज्म अंतरराष्ट्रीय शायर थे। उनके कलाम को विदेश में भी खूब सराहा जाता था।फलक से टूट गया सितारा: तनवीर गौहर
मशहूर शायर डा. तनवीर गौहर कहते है कि उर्दू अदब के आसमान से आज एक ओर सितारा टूट गया हैं। पचास सालो से उर्दू के साहित्य प्रेमियों के दिलो पर राज करने वाले नज्म मुजफ्फरनगरी का जाना इतना बडा नुकसान है, जिसे पूरा नहीं किया जा सकता।उनका कहना था कि लेडीज मुशायरो को शुरू करने का श्रेय नज्म मुजफ्फरनगरी को जाता है।
मुल्क में यतीम हो गया उर्दू अदब
मुल्क के शायर डा. ताहिर कमर मीरापुरी का कहना है कि उर्दू अदब का रोशन सितारा यहां उर्दू अदब को यतीम कर गया। जिसकी भरपाई होना मुश्किल काम है। उनका कहना था कि मुशायरो में उनसे मुलाकात होती थी। बडे ही मुखलिस इंसान थे। ऐसे इंसान बार-बार नहीं आते।मुजफ्फरनगर से लेडीज मुशायरो की शुरुआत कराई थी नज्म ने
शायर तहसीन अली असारवी बताते है कि मुजफ्फरनगर के नुमाईश पण्डाल में नज़्म मुजफ्फरनगरी ने पहली बार लेडीज मुशायरा कराया था। इससे पहले पूरी दुनिया में कहीं भी लेडीज मुशायरो की कोई परम्परा नहीं थी। लेडीज मुशायरे की बुनियाद डालने का सेहरा उनके सिर बंधा। इसके बाद भारत के साथ-साथ विदेश में भी सैकडो लेडीज मुशायरो आयोजित हुए। लम्बे समय तक वे उर्दू की दुनिया में काम करते रहे। उर्दू के बडे अखबार में उन्होंने मुजफ्फरनगर के ब्यूरो चीफ के पद पर काम किया और खुद उर्दू का अखबार निकालते रहे। उर्दू की शायरी में उनके सैकडो शागिर्द ऐसे है जो आज भी उनका नाम पूरे देश में रोशन कर रहे हैं।