CCS यूनिवर्सिटी के उर्दू विभाग में हुआ ‘अदबनुमा’ का आयोजन

मेरठ में उर्दू विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और ऑल इंडिया यंग उर्दू स्कॉलर्स एसोसिएशन (आयुषा)के संयुक्त तत्वावधान में साप्ताहिक कार्यक्रम “अदब नुमा” का आयोजन हुआ। जिसका विषय था – “साहित्य में व्यंग की भूमिका”। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को साहित्य, साहित्यकारों और लेखन से जुड़े प्रत्येक पहलू से अवगत कराना है। इस श्रृंखला में हाल ही में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा “साहित्य शिल्पी” पुरस्कार के साथ-साथ अनेक पुरस्कारों से सम्मानित गाजियाबाद से पधारे सुभाष चंद्र का आगमन हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता आरिफ नकवी,जर्मनी ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ कुराने पाक की पवित्र आयत से हुआ। डॉ. आसिफ अली द्वारा मुख्य वक्ता का परिचय पेश किया गया, जबकि स्वागत भाषण डॉ. इरशाद स्यानवी ने प्रस्तुत किया। तत्पश्चात मुख्य वक्ता सुभाष चंद्र ने अपना एक व्यंग प्रस्तुत किया जो कोरोना काल की त्रासदी पर आधारित था। इसके पश्चात उन्होंने हिंदी, उर्दू एवं अंग्रेजी साहित्य में व्यंग्य की भूमिका पर प्रकाश डाला और अनेक साहित्यकारों के व्यंग्यों से परिचित कराया। साहित्य में व्यंग्य के जन्म पर प्रकाश डालते हुए सुभाष जी ने कहा कि, “व्यंग्य
तुलनात्मक रूप से जटिल विधा है। उसके अपने अलग प्रयोजन हैं। अगर लेखन का निकष गद्य है तो गद्य का निकष का व्यंग्य है। दरअसल व्यंग्य
बेचैनी का बाई प्रोडक्ट है। जब आप किसी विसंगति को लेकर बेचैन होते हैं तब व्यंग्य जन्म होता है।”
उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो. असलम जमशेदपुरी ने कहा कि, “अदब मैं तंज ओ मजहा अर्थात व्यंग्य की परंपरा बहुत प्राचीन है। बीच में यह परंपरा लुप्त हो चली थी, लेकिन यह अब पुनः प्रकाश में आ रही है। लेखक व्यंग्य विधा में अपनी लेखनी चला रहे हैं।” कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री आरिफ नकवी ने कहा कि, “साहित्य में व्यंग्य अत्यंत आवश्यक है। व्यंग्य एक ऐसा नश्तर है जो विसंगति की जड़ों पर वार करता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अलका वशिष्ठ ने किया। इस अवसर पर जूम एप पर ऑनलाइन देश-विदेश के अनेक विद्वानों, रिसर्च स्कॉलर्स एवं छात्र छात्राओं ने शिरकत की। डॉ. शादाब अलीम, सईद सहारनपुरी, मोहम्मद शमशाद, फैजान जफर सैयदा मरियम इलाही, शबिस्ता बानो आदि का सहयोग रहा।