शुरुआती चरणों में पता नहीं चलता फैफड़ों का कैंसर: डा. जिंदल

–मेरठ पहुंचे मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल वैशाली के थोरैसिक और रोबोटिक थोरैसिक सर्जरी के निदेशक डा. प्रमोज जिंदल से विशेष बातचीत-
महविश जाकिर
मेरठ। फेफड़ों का कैंसर एक बेहद खतरनाक बीमारी है, जिससे हर साल पूरी दुनिया में लाखों लोगों की मौत होती है। उक्त बीमारी के लक्षण, कारण और रोकथाम के बारे में मेरठ स्थित मैक्स हेल्थ केयर आए मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल वैशाली के थोरैसिक और रोबोटिक थोरैसिक सर्जरी के निदेशक डा. प्रमोज जिंदल ने जानकारी दी। 
उन्होंने बताया कि इंसान की छाती में मौजूद दो फेफड़े (जिन्हें लंग्स कहा जाता है) जो शरीर में ऑक्सीजन लेने और कार्बनडाई ऑक्साइड छोड़ने का काम करते हैं, धूम्रपान करने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है, हालांकि ये बीमारी उन लोगों को भी हो सकती है, जिन्होंने जीवन में कभी धूम्रपान ना किया हो। फेफड़ों के कैंसर का खतरा इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितने लंबे समय से धूम्रपान कर रहे हैं। लक्ष्णों के बारे में बताया कि फेफड़ों में कैंसर के लक्षण या संकेत शुरुआती चरण में पता नहीं चलते हैं, इसके लक्षण बीमारी के एडवांस स्टेज पर पहुंचने के बाद ही पता लगते हैं, कभी दूर ना होने वाली खांसी, खांसी में खून, सांस में तकलीफ, छाती में दर्द, गला बैठना, छाती में बलगम, वजन घटना, हड्डियों में दर्द और सिर दर्द इसके प्रमुख लक्षण हो सकते हैं। यदि इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो तो तुरंत ही डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
धूम्रपान करने से होता है फेफड़ों का कैंसर
हालांकि, उन्होंने कहा कि फेफड़ों के कैंसर मुख्य रूप से धूम्रपान करने की वजह से ही होता है। धूम्रपान करने वाले और इसके धुएं के संपर्क में आने वाले लोग इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। हालांकि, उन लोगों को भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है जिन्होंने ना तो कभी बीड़ी या सिगरेट पी है और ना ही वे धुएं के संपर्क में आए हैं। इस संदर्भ में कैंसर के कारण का पता नहीं लगाया जा सकता है। फेफड़ों के कैंसर मुख्य रूप से धूम्रपान करने की वजह ही माना जाता है, धूम्रपान करने वाले और इसके धुएं के संपर्क में आने वाले लोग इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा, अर्सेनिक, क्रोमियम और निकेल जैसे कैमिकल एलिमेंट के संपर्क में आने से भी आप इसका शिकार हो सकते हैं। इसलिए आपका घर किस जगह है या आपका ज्यादा समय कैसी जगह पर गुजरता है, ये भी काफी मायने रखता है. कई मामलों में फेफड़ों का कैंसर परिवार की हेल्थ हिस्ट्री पर भी निर्भर करता है।
फेफड़ों के कैंसर का उपचार
-उपचार का निर्धारण कैंसर की प्रकार, इसके फैलाव और आपकी सामान्य स्वास्थ्य स्थिति पर आधारित होता है।
-यदि रोग का निदान जल्द हो जाता है और कैंसरयुक्त कोशिकाएं एक छोटे से क्षेत्र तक सीमित रहती है, तो आमतौर पर फेफड़े के प्रभावित क्षेत्र को हटाने के लिये सृजरी की जाती है।
–यदि आपके सामान्य स्वास्थ्य के आधार पर सृजरी नहीं की जा सकती है, तो कैंसर युक्त कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडियोथेरैपी की जा सकती है।
-यदि सृजरी अथवा रेडियोथेरैपी के प्रभावोत्पादक क्षेत्र से काफी दूर तक कैंसर फैल जाता है, तो आमतौर पर कीमोथेरेपी का प्रयोग किया जाता है।




