मुद्दों से किनारा, पार्टी वोट बैंक के सहारे मीराँपुर में टिकटार्थी

कोई बादल भी हो बरसने वाला………….???
क्षेत्रीय विकास के मुद्दों से बेपरवाह टिकटार्थियों का पार्टी के बल पर टिका है दम
(काज़ी अमजद अली)
मुज़फ्फरनगर की मीराँपुर विधानसभा क्षेत्र में सड़क किनारे लगे भावी प्रत्याशियों के प्रचार होर्डिंग,विधानसभा की अहमियत को साबित करने के लिये काफी हैं।भावी प्रत्याशियों के होर्डिंग उनका परिचय कई प्रकार से करा रहे हैं। वहीं दिन प्रतिदिन गरमाती सियासत के चलते अब गली गलियारों में चुनावी चर्चाओ का बाजार गर्म होने लगा है। मीरांपुर विधानसभा पर सपा रालोद गठबंधन व भाजपा तथा बसपा के बीच मुकाबला माना जा रहा है ।भाजपा के खेमे में टिकट पाने वालों की भीड़ है तो सपा रालोद व अब हाशिये पर दिखती बसपा भी मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव लगा मुकाबले में मजबूती के साथ उतर सकती है भाजपा ,सपा रालोद के साथ साथ बसपा से भी एक बड़े मुस्लिम नाम की चर्चा शुरू हो गयी है । टिकट पाने वालों की रस्सा कशी केवल खुद को साबित करने के लिये है क्षेत्र के विकास के मुद्दों पर कब बात होगी इसका इंतजार अभी जनता को है ।
मुज़फ्फरनगर ज़िले की मीराँपुर विधानसभा पर टिकट पाने वालों की भीड़ क्यूँ है ये सवाल सभी के मन को कचोट रहा है । हाल के विधायक अवतार भड़ाना जिन्हें हेलिकॉप्टर विधायक के रूप में भी जाना जाता है।साढ़े चार वर्ष बीतने के बाद भी जनता के करीब नही जा सके हैं।इसके पूर्व बसपा विधायक मौलाना जमील भी अपनी सादगी और धार्मिक छवि के कारण सभी के मन न चढ़ पाये। क्षेत्रीय समस्याएं व विकास के मुद्दे इस बीच कहीं पीछे छूटते गये मोरना चीनी की पेराई क्षमता को बढ़ाने अथवा पचास हज़ार क्षमता की नई यूनिट लगाने की माँग सहित बिहारगढ़ में गंगा नदी पर पुल बनाकर पूर्व की भाँति पानीपत -खटीमा राजमार्ग के निर्माण,शुक्रताल में गंगा के जल स्तर को बढ़ाने,खतौली से हरिद्वार तक गंग नहर किनारे ट्रेन की लाइन बिछाने,मोरना में 33 kv विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना,हैदरपुर झील को रामसार साइट से जोड़ना,जौली से सम्भलहेड़ा गंग नहर पटरी के दोहरीकरण, मीराँपुर में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना,जौली,तेवड़ा,टंडेढ़ा, तिस्सा सीकरी,मजलिसपुर तोफिर में सरकारी इंटर कॉलिज की स्थापना,भोकरहेड़ी में स्टेडियम की स्थापना व भोकरहेड़ी व गादला में पुलिस चौकी की स्थापना आदि प्रमुख मुद्दों के अलावा अनेक समस्याएं विकास व रोज़गार को लेकर हैं। जनता क्षेत्र की समस्याओं व विकास को लेकर इस बार कितनी गम्भीर ये तो आने वाला समय ही बतायेगा।किन्तु विकास की दौड़ में अन्यो से लगातार पिछड़ने के कारण मोरना ब्लॉक् क्षेत्र के गांवों से बड़ी संख्या में पलायन जारी है। इसके अलावा विधायक का जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं के निवारण की अपेक्षा क्षेत्रवासियों को है । मीराँ पुर विधानसभा के अगर इतिहास पर नज़र डाली जाये तो यह पूर्व में मोरना विधानसभा के नाम से जानी जाती थी यहाँ से जीतकर विधायक मन्त्री भी बने हैं। 1974 व 1977 में स्व.नारायण सिंह,1980 में स्व.मेंहदी असगर मटरू मियाँ,1985 में सय्यद सईदुज्जमा जो प्रदेश की काँग्रेस सरकार में मन्त्री बनाये गये थे।इसके बाद 1989 अमीर आलम खान जनता दल की सरकार में मन्त्री बने थे 1991 व 1993 में स्व.रामपाल सैनी दो बार भाजपा से विधायक निर्वाचित हुवे।1996 में स्व.संजय सिंह चौहान समाजवादी पार्टी से विधायक निर्वाचित हुवे।संजय सिंह चौहान स्व.नारायण सिंह के पुत्र थे। अब स्व.नारायण सिंह के पौत्र व स्व.संजय चौहान के पुत्र चन्दन चौहान समाजवादी पार्टी से टिकट पाने के प्रयास में हैं।इसके बाद 2002 में बसपा से राजपाल सैनी विधायक निर्वाचित हुवे राजपाल सैनी सपा छोड़कर बसपा में शामिल हुवे थे राजपाल सैनी ने पुनः सपा में वापसी कर अपने इरादों को ज़ाहिर किया है । 2007 में कादिर राणा रालोद से विधायक बने सांसद बन जाने के बाद कादिर राणा के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर उपचुनाव में रालोद ने 2009 में फिर अपनी जीत का परचम लहराया मिथलेश पाल रालोद से विधायक निर्वाचित हुई,नए परिसीमन के चलते वजूद में आई मीराँपुर विधानसभा से 2012 में बसपा के मौलाना जमील अहमद कासमी को क्षेत्र की जनता ने चुना। बीते 2017 के चुनाव में भाजपा के अवतार भड़ाना मामूली अन्तर से विधायक निर्वाचित हुवे थे । पिछले दो विधायको की ढीली ढाली पकड़ ने अन्यों के लिये अवसर प्राप्त करने के द्वार जैसे खोल दिये हों। ऐसा प्रतीत होता है। सपा रालोद भाजपा बसपा के बीच होने वाले मुकाबले में काँग्रेस प्रत्याशी के पास विकास पर बोलने के काफी कुछ है 1984 में मोरना चीनी मिल व 1983 में गंगा नदी पर बैराज बांध की स्थापना व 1985 में सोलानी नदी पर पुल का शिलान्यास का आज भी कोई सानी नही है । विकास के मुद्दों को जनता प्रत्याशियों के सामने किस प्रकार रखेगी ये क्षेत्र के ज़िम्मेवारों को तय करना है ।