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पोतियों ने दादा की अंत्येष्टिकर्म में स्वयं किया मंत्रपाठ

सरधना(मेरठ)। दादा की मृत्यु पर पोतीयो ने अंत्येष्टिकर्म में मंत्र पाठ किया रविवार को क्षेत्र सरधना के विख्यात कर्मठ आर्य भजनोपदेशक महाशय कर्णसिंह जी कपसाढ़ का प्रातः साढ़े चार बजे 93 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। महाशय जी ने गांव गांव – नगर नगर घूमकर खूब आर्यसमाज का प्रचार किया। अपने परिवार में पोतियों को वेद पढ़ाए। महाशय जी के निधन पर परिवार में गहरा शोक छा गया लेकिन पोतियों ने धैर्य रखते हुए अपने दादा के द्वारा दिये गए आर्यसमाज के सिद्धांतों की शिक्षा के अनुसार दादा के मरने पर हर क्रियाएं की। उन्होंने शवयात्रा में भी दादा को कंधी दी। अपने पिता के साथ मिलकर चिता को मुखाग्नि दी और वैदिक विधि विधान से कन्या गुरूकुल झिटकरी भामोरी की प्राचार्या आदेश शास्त्री के सान्निध्य में मंत्रपाठ करते हुए अंत्येष्टि कर्म सम्पन्न कराया। रूढ़िवादी परंपरा को बालिकाओं द्वारा आज तोड़ दिया गया। वो बातें अब गए जमाने की बाते हो गयी जो कहते थे कि बेटियां शवयात्रा में नही जाती। सम्पूर्ण अंत्येष्टि कर्म वैदिक विद्वान आचार्य देवपाल और डॉ कपिल आचार्य की देखरेख में सम्पन्न हुआ। गांव सहित क्षेत्र के अन्य गणमान्य भी महाशय जी की अंतिम यात्रा में शामिल हुए।

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