राजनीति

मीरापुर मे कौन बनेगा सिकंदर?? आपने-अपने प्रत्याशियों की जीत के आंकड़े लगा रहे समर्थक

मुजफ्फरनगर। मतदान के बाद अब बैठकों, चाय की दुकानों पर समर्थक जीत के लिये गुणा-भाग कर रहे हैं। बूथों पर मतदान प्रतिशत, सामाजिक वर्गीकरण, जातिगत आँकड़े तथा 2017 के विधानसभा चुनाव व 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम आदि के आंकलन कर अपने प्रत्याशी के जीत के दावे करने वाले एक दूसरे से बहस में उलझे हुए हैं। मीरापुर विधानसभा पर मुख्य मुकाबला रालोद-सपा गठबंधन प्रत्याशी चन्दन सिंह चौहान , भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी प्रशान्त  व बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी मौलाना सालिम कुरैशी के बीच माना जा रहा है। तीनों प्रत्याशियों के बीच काँग्रेस प्रत्याशी मौलाना जमील अहमद कासमी व आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी उमेश पाल व राष्ट्रीय निर्माण पार्टी की प्रत्याशी प्रीति पाल की वोट को लेकर भी चर्चाएं हैं। गठबन्धन, भाजपा व बसपा प्रत्याशियों ने चुनाव में काफी मेहनत की भाजपा प्रत्याशी को रूठों को मनाने में पसीने छूट गये तो बसपा प्रत्याशी ने दलित-मुस्लिम गठजोड़ के लिये दिन-रात मेहनत की। वहीं गठबन्धन प्रत्याशी को अपने मजबूत वोट बैंक को संजोए रखने में कड़ा परिश्रम किया। तीनों प्रत्याशियों के बीच हुई रस्साकशी में काँग्रेस व आजाद समाज पार्टी तथा राष्ट्रीय निर्माण पार्टी के प्रत्याशियों की वोट पर भी चचार्यें जारी हैं। मीराँपुर विधानसभा पर 68 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो 2017 के विधानसभा चुनाव से एक प्रतिशत कम है। मीराँपुर विधानसभा पर कुल 314581 मतदाता हैं। जबकि 213915 वोट डाले गये हैं। गुरुवार को हुए मतदान ने तस्वीरों को कुछ साफ किया है। जानकारों की मानें तो मुख्य मुकाबला गठबंधन व भाजपा के बीच तय माना जा रहा है। समाजवादी पार्टी का मुख्य जनाधार मुस्लिम अपेक्षा के अनुरूप ही वोट करता नजर आया है। भाजपा के वोट बैंक में गठबंधन ने सेंध लगाई है, तो भाजपाई भी दलित वोट में भारी सेंधमारी के मजबूत दावे कर रहे हैं। इसी सेंधमारी के कारण मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। गठबंधन प्रत्याशी के समर्थक अपनी बडी जीत के दावे कर रहे हैं। तो भाजपा के समर्थक दलित वोट जोडकर अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। वहीं बसपा समर्थक भी दलित मुस्लिम समीकरण के आधार पर जीत के गुणा भाग में लगे हुए हैं। मीरापुर विधान सभा पर मुस्लिम की पहली पसंद गठबंधन रहा, वहीं जाट मतदाता गठबंधन व भाजपा में बंटा नजर आया। वहीं भाजपा के मजबूत गुर्जर वोट में भी भाजपा व गठबंधन प्रत्याशी अपने अपने दावे कर रहे हैं। दलित, गुर्जर व भाजपा से नाराज वोटर निर्णायक भूमिका में आते हुए प्रतीत होते हैं। जिससे मीरापुर विधान सभा पर मुकाबला बेहद रोचक बताया जा रहा है। गठबंधन समर्थक मुस्लिम, जाट, गुर्जर तथा भाजपा से नाराज वोटर को प्लस मानकर बेहद उत्साहित हैं, तो भाजपा अपने मजबूत प्रबन्धन व संगठन के सहारे जीत के दावे कर रहा है।

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