कुरैशी समाज की उपेक्षा क्यो? अल्पसंख्यक कांग्रेस ने गवर्नर को ज्ञापन भेजकर पूछा सवाल

मुजफ्फरनगर। अल्पसंख्यक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अब्दुल्ला काज़ी बघरा के नेतृत्व में कांग्रेस ने कुरेशी समाज के उत्पीड़न को लेकर हुंकार भरी है। प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने इस मुहिम की शुरुआत की थी, जिसको आगे बढ़ाते हुए यहां भी राज्यपाल को जिला प्रशासन के माध्यम से ज्ञापन भेजा गया है। ज्ञापन में जिलाध्यक्ष अब्दुल्ला काज़ी, कांग्रेस नगर अध्यक्ष जुनैद रऊफ, वरिष्ठ नेता मतलूब अली ने कहा कि प्रदेश में लगातार हो रहे कुरैशी समाज के उत्पीड़न के विरोध में प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के तत्वावधान में जिला अधिकारी के माध्यम से जिला एवं शहर अल्पसंख्यक कांग्रेस कमेटी की ओर से ज्ञापन भेजा गया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में बन्द पड़े स्लेटर हाउस को आधुनिक तकनीक के साथ शीघ्र चालू किया जाए तथा जिन जिलों में स्लेटर हॉउस नही है। उनमें शीघ्र आधुनिक स्लेटर हाउस का निर्माण कराया जाये
सरकारी स्लेटर हाउस ना होने के कारण निजी स्लेटर हाउस स्वामी मनमाने दामों पर छोटे दुकानदारों को मीट बेचते है जिससे मीट महंगाई चरम पर है । प्रदेश में सरकार ने मीट बेचने वाले छोटे दुकानदारों के लाइसेंस बनाने व नवीनीकरण की प्रक्रिया को जटिल बना दिया है सरकार द्वारा लाइसेंस बनाने व नवीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाया जाए ।
सपा सरकार में बंद हुए कानपुर से लेकर हापुड़ तक प्रदेश भर में बंद पड़े सभी चमड़े के कारखानों को शीघ्र चालू किया जाये।चमड़े के कारखाने से व उसके व्यापार से मात्र क़ुरैशी समाज ही नही बल्कि कई दिगर समाज भी जुड़े हैं और चमड़े के गोदामों के बन्द होने से इन लोगो में भी रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।लाइसेंस मानक से मीट बेचने वालों व निजी स्लेटर हाउस से GST शुदा बिल पर मीट खरीदकर लाने वालों को पुलिस बे वजह परेशान करती है उनसे अवैध रूप से धन की उगाई करती है उनका उत्पीड़न करती है।प्रदेश सरकार को इसे संज्ञान में लेते हुए कुरेशी समाज की मदद के लिए अति शीघ्र एक हेल्पलाइन नंबर जारी करना चाहिए ।क़ुरैशी समाज पर लगी रासुका व झूठे मुकद्दमों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए तथा निर्दोष पाए जाने वालों क़ुरैशी समाज के लोगों पर लगे मुकदमे बापिस लिया जाने चाहिए।
यहाँ शहर अध्यक्ष सलीम, मोहम्मद इकबाल, खुशनसीब, नवाब कुरेशी, नईम रहमानी, अशरफ रहमानी, रमीज राजा आदि मौजूद रहे।