जेल में सुसाइड या मर्डर?? उलझा मामला, परिजनों ने हत्या की दी तहरीर

मुजफ्फरनगर में तीन दिन पहले जिला कारागार में हुई युवक की संदिग्ध मौत के मामले में उस समय नया मोड आ गया है, जब परिवार के लोगों ने एसएसपी अभिषेक यादव को शिकायती पत्र देकर इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है। हालांकि मौत के बाद पुलिस ने इस प्रकरण को आत्महत्या बताकर रफा दफा कर दिया था। जिला कारागार के अफसरो ने भी इस पूरे प्रकरण में एक बंदी रक्षक पर जिम्मेदारी डालकर उसे निलम्बित कर दिया था। अब सोशल मीडिया के माध्यम से यह मामला पूरे देशभर में गर्मा गया है। जिसके बाद परिजनो को सच्चाई का पता चला तो उन्होंने पुलिस कप्तान व जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर जेल अधीक्षक सहित पांच लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है। ग्राम न्याजूपुरा निवासी जुबैदा पत्नी स्व. सुबराती ने एसएसपी अभिषेक यादव के नाम दी गई तहरीर में बताया कि उसका बेटा शाहिद एनडीपीएस एक्ट में शहर कोतवाली पुलिस द्वारा जेल भेजा गया था। जिसकी मौत की सूचना उन्हें 21 जून को पोस्टमार्टम के बाद दी गई। जबकि उसकी हत्या 20 जून की रात्रि में कर दी गई थी। उसके शरीर पर चोट के निशान पाये गये है। कान भी कटा हुआ है, यानि हत्या से पूर्व मृतक ने जान बचाने के लिए संघर्ष भी किया। विधवा का आरोप है कि उसके बेटे की हत्या जेल अधीक्षक एके सक्सेना, डिप्टी जेलर, वार्डन राजीव कुमार, ड्यूटी पर तैनात बंदी रक्षक व अन्य अज्ञात लोगों ने मिलकर की है। जिन लोगों ने उसकी हत्या करके शव को आत्महत्या दर्शाने के लिए बैरक में ही उसके अंगौछे से लटका दिया था। हत्या के 24 घंटे बाद परिजनो को उस समय सूचना दी गई जब पोस्टमार्टम हो चुका था और लाश को सील करके परिजनो को सौंपा गया। तभी से इस मामले में परिजन हत्या का आरोप लगा रहे है। जिस समय शव घर पहुंचा था तब भी स्थानीय लोगों ने जाम लगाकर गुस्से का इजहार किया था। तब पुलिस ने पहुंचकर इस मामले में जांच का आश्वासन दिया था।
#UP : Shahid was lodged in Muzaffarnagar jail for last 1 yr. On getting bail he was to be released today. But admin informed the family that he had committed suicide. Family alleged that this was murder. 6th Muslim's death in police custody, 2021. Is this just a coincidence? pic.twitter.com/gtxNNixu4J
— Mohammad Sartaj Alam (@SartajAlamIndia) June 21, 2021
यह मामला उस समय से ज्यादा गर्मा रहा है जब सोशल मीडिया पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी,सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद सरताज आलम व जाकिर अली त्यागी ने साक्ष्य के साथ ट्वीट किया और इस मामले में सीबीआई जांच की मांग उठाई है। इसके बाद कई हजार रिट्वीट हुए।
